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डा. सत्यपाल सहगल के नये काव्य संग्रह ‘दूसरी किताब’ पर चर्चा

मनीमाजरा (चंडीगढ़), 3 जुलाई (हप्र) साहित्य चिंतन, चंडीगढ़ की बैठक सेक्टर-20 सी में डाॅ. अक्षय कुमार की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। इस मौके पर डा. सत्यपाल सहगल के नए काव्य संग्रह ‘दूसरी किताब’ के बारे में संक्षिप्त चर्चा करते हुए...

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साहित्य चिंतन, चंडीगढ़ की बैठक में भाग लेते साहित्यकार। -हप्र
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मनीमाजरा (चंडीगढ़), 3 जुलाई (हप्र)

साहित्य चिंतन, चंडीगढ़ की बैठक सेक्टर-20 सी में डाॅ. अक्षय कुमार की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। इस मौके पर डा. सत्यपाल सहगल के नए काव्य संग्रह ‘दूसरी किताब’ के बारे में संक्षिप्त चर्चा करते हुए डा. विजय सिंह के कहा कि कवि के अंदर तन्हाई का आलम है। डाॅ. ललन सिंह ने बहस शुरू करते हुए कहा कि कविता को दर्शन के आधार पर ही परखा जाना चाहिए। डा. राजेश जायसवाल ने कहा कि जो हमें आहत कर रहा है, उसका पता होना चहिए। डाॅ. जसपाल ने कहा कि कवि के लिए सारा संसार युद्ध भूमि की तरह होता है। कविता निज से परा की तरफ का सफऱ तय करती है। अस्तित्ववादी कविता में कम्पन की कमी रह जाती है। जो कविता युद्ध नहीं छेड़ती, वह भांजवादी कही जाएगी। अभय सिंह संधू ने कहा कि कविता सारे दायरों से पार जाने की विधा है। अनुवाद भाषा के सीमित दायरों को तोड़ता है। डा. अरीत कौर ने कहा कि भाषा के चक्करों में फंसकर ज्ञान के दरवाज़े, खिड़कियों के रोशनदान बंद नहीं करने चाहिए।

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बैठक में बिमल शर्मा, सतबीर कौर, कृष्णा गोयल, सतवंती आचार्य, इंदरजीत सिंह भाटिया, रीना बिष्ट, अलका कल्याण, सज्जन सिंह, मोहन लाल राही, लखमिंदर सिंह बाठ, भजनबीर सिंह, जयपाल, गुरचरण सिंह, अमरकांत, अशोक कुमार बत्रा, गुरविंदर सिंह, जय देव बिश्नोई, प्रियंका, गौरवकालड़ा, जसवंत सिंह, हरमेल सिंह, डॉ. जगदीश चन्द्र, रीमा, डॉ. रविंदरनाथ शर्मा, शाइदा बानो समेत तीन दर्जन से अधिक साहित्यक चिंतकों ने भाग लिया। बैठक का संचालन सरदारा सिंह चीमा के किया।

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