Diabetes Awareness डायबिटीज का छुपा खतरा : आंखों की रोशनी पर सीधा असर
Diabetes Awareness विश्व मधुमेह दिवस पर विशेषज्ञों ने चेतावनी दी कि डायबिटीज सिर्फ शुगर बढ़ाने वाली बीमारी नहीं है, बल्कि आंखों की रोशनी पर भी गंभीर असर डालती है। डायबिटिक रेटिनोपैथी नामक बीमारी वयस्कों में होने वाली रोकी जा सकने वाली अंधता का प्रमुख कारण बन चुकी है। चिराग पहल से जुड़े ग्रेवाल आई इंस्टीट्यूट मेडिसिटी, न्यू चंडीगढ़ के विशेषज्ञों के अनुसार, हर तीन में से एक डायबिटिक मरीज में रेटिना को नुकसान के संकेत मिलते हैं और हर पांच में से एक मरीज दृष्टि खोने के जोखिम में पहुंच सकता है।
विट्रो-रेटिनल सेवाओं के चेयरमैन डॉ. एम.आर. डोगरा ने बताया कि समय पर आंखों की जांच इस बीमारी से बचाव का सबसे जरूरी उपाय है। उनका कहना है कि यदि मरीज नियमित जांच करवाएं तो डायबिटीज से जुड़ी 90 प्रतिशत अंधता को रोका जा सकता है। द लांसेट ग्लोबल हेल्थ (2024) के आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि भारत में 12.5 प्रतिशत डायबिटिक मरीज रेटिनोपैथी से प्रभावित हैं, लेकिन 75 प्रतिशत लोगों ने कभी स्क्रीनिंग नहीं करवाई।
डॉ. मनप्रीत बराड़ ने कहा कि यह बीमारी अक्सर बिना किसी दर्द या धुंधलेपन के बढ़ती है, इसलिए साल में एक बार डाइलेटेड रेटिना एग्जाम बेहद जरूरी है। उन्होंने बताया कि समय पर दिए गए इंजेक्शन, लेज़र या सर्जरी कई मरीजों की दृष्टि सुरक्षित रख सकते हैं।
एंडोक्राइनोलॉजिस्ट और पूर्व एसोसिएट प्रोफेसर, पीजीआई, डॉ. आर. मुरलीधरन ने टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज के बारे में समझाते हुए कहा कि दोनों में शुरुआत की उम्र और प्रबंधन पद्धतियों में काफी अंतर होता है। उन्होंने कहा कि शुगर नियंत्रण को दैनिक जीवन का हिस्सा बनाना अब हर मरीज की आवश्यकता है।
जीईआई के सीईओ और मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. एस.पी.एस. ग्रेवाल ने बताया कि यदि किसी व्यक्ति को 25 वर्ष तक मधुमेह रहता है तो लगभग हर मरीज में रेटिना संबंधी क्षति विकसित होती है। उन्होंने कहा कि भारत में गलत खानपान, कम सक्रिय जीवनशैली और बढ़ती उम्र की वजह से डायबिटीज तेजी से फैल रही है।
इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन डायबिटीज एटलस 2024 के अनुसार दुनिया में 589 मिलियन वयस्क डायबिटीज से ग्रस्त हैं और 2050 तक यह संख्या 853 मिलियन तक पहुंचने की संभावना है। भारत में 101 मिलियन से अधिक मरीज हैं, जो दुनिया में सबसे अधिक प्रभावित देशों में से एक है।
विशेषज्ञों ने कहा कि बेहतर शुगर कंट्रोल, साल में एक बार रेटिना जांच और समय पर इलाज वे कदम हैं, जिनसे दृष्टि को लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है।
