चंडीगढ़/पंचकूला, 1 नवंबर (नस)
चंडीगढ़ प्रशासन जहां दिन-रात कोरोना संक्रमण के साथ डेंगू बुखार की रोकथाम में जुटा हुआ है, वहीं शहर में एवियन इन्फ्लुएंजा या बर्ड फ्लू के संक्रमण फैलने का खतरा फिर से पैदा हो गया है। शहर में जैसे-जैसे सर्दी शुरू हो रही है, चंडीगढ़ में प्रवासी पक्षियों का आगमन शुरू हो गया है। ये पक्षी आमतौर पर फरवरी के महीने तक यहां रहते हैं। प्रवासी पक्षी एवियन इन्फ्लुएंजा वायरस के संचरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ऐसे में प्रशासन ने संक्रमण की रोकथाम के लिए अपनी कोशिशें तेज कर दी हैं। सोमवार को जालंधर स्थित उत्तर क्षेत्र में रोग निदान प्रयोगशाला के वैज्ञानिकों की टीम ने यहां सुखना लेक पर आकर पशुपालन विभाग को बर्ड फ्लू के किसी भी प्रकार के संक्रमण को रोकने के संबंध में प्रशिक्षण दिया, वहीं विशेषज्ञों ने संक्रमण के फैलने के बाद पक्षियों में महामारी फैलने से पहले तैयारियों से जुड़ी मॉक ड्रिल की। सचिव पशुपालन डॉ. विजय नामदेवराव जादे के मार्गदर्शन में पशुपालन विभाग को बर्ड फ्लू के संक्रमण को रोकने के लिए कमर कस ली गई है। प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए डॉ. मनीष कुमार लोहान निदेशक पशुपालन चंडीगढ़ ने कहा कि ‘बर्ड फ्लू’ एक अत्यधिक संक्रामक एवियन रोग है, जिसमें जेनेटिक क्षमता होती है। इस रोग के कारण पक्षियों की मृत्यु और मुर्गी और उसके उत्पादों के व्यापार में भारी नुकसान होता है। विभाग ने सरकार के नवीनतम दिशानिर्देशों के अनुसार ‘एवियन इन्फ्लुएंजा : नियंत्रण और रोकथाम’ पर एक कार्य योजना तैयार की है। जैसे-जैसे सर्दी शुरू हो रही है, देश में एवियन इन्फ्लुएंजा के संक्रमण फैलने का खतरा है, क्योंकि यह सीमा पार का पशु रोग है।
विभाग ने शुरू की निगरानी
चंडीगढ़ में इस बीमारी से निपटने के लिए सभी संबंधित विभाग समन्वय प्राप्त करने में सहायक होगा। विभाग ने सभी प्रकार के पक्षियों की फिजीकल और सैराें निगरानी शुरू कर दी है, जिसमें कुक्कुट, मुर्गी और विशेष रूप से प्रवासी पक्षी शामिल हैं।