चंडीगढ़ (ट्रिन्यू) : चंडीगढ़ के 22 गांवों में सेल डीड रजिस्ट्री बंद होने के विरोध में जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय के बाहर धरने पर बैठे भाजपा नेताओं व कार्यकर्त्ताओं की आज तहसीलदार से बहस हो गई व वहां तनाव का माहौल पैदा हो गया। मौके पर पुलिस के सुरक्षा कर्मियों ने स्थिति को संभाल लिया। भाजपा के महामंत्री रामवीर भट्टी ने कहा कि गत 73 वर्षों से लालडोरे के भीतर मकानों की रजिस्ट्रियां होते आ रही हैं पर 2 महीने पहले दो नए आए तहसीलदारों की नियुक्ति के बाद लाल डोरे के अंदर जितने भी संपत्ति आती थी उनकी रजिस्ट्री बंद कर दी गई है। गांव के लोगों की समस्या के समाधान के लिए आज भाजपा के प्रदेश महामंत्री रामवीर भट्टी ने गांव के लोगों के साथ नगर उपायुक्त कार्यालय के बाहर धरना दिया। ग्रामीणों व चंडीगढ़ भाजपा ने मांग की है कि पहले तो यह साफ किया जाए किस कानून के अंतर्गत यह रजिस्ट्री बंद की गई है और फिर यह दोनों तहसीलदार या तो बदले जाएं और रजिस्ट्रियां करना दोबारा शुरू की जाएं।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।