400 शोध प्रस्तुत, 48 शीर्ष शोधकर्ताओं और 40 नवाचारकर्ताओं को सम्मान
पीजीआईएमईआर के शोध दिवस में नवाचारों की धूम
विवेक शर्मा/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 22 मार्च
चंडीगढ़ स्थित पीजीआई में 11वें वार्षिक शोध दिवस का आयोजन धूमधाम से हुआ। यहां चिकित्सा अनुसंधान और नवाचारों की झलक देखने को मिली। इस आयोजन में 400 से अधिक शोध प्रस्तुत किए गए, जिनमें से 48 को शीर्ष शोध प्रकाशनों के लिए और 40 को नवाचार श्रेणी में सम्मानित किया गया। इस अवसर पर आईआईएससी बेंगलुरु और पीजीआईएमईआर के बीच एक समझौता भी हुआ, जिसका मकसद सामाजिक प्रभाव वाले शोधों को बढ़ावा देना है। मुख्य अतिथि प्रो. अजय कुमार सूद, जो प्रधानमंत्री के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार हैं, ने भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता पर विचार रखे। उन्होंने बताया कि 69 महत्वपूर्ण तकनीकों में से भारत 45 में दुनिया के शीर्ष 5 देशों में शामिल है। भारत स्वास्थ्य सेवाओं, महामारी की तैयारी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और सेल-जीन थेरेपी में तेजी से आगे बढ़ रहा है। विशिष्ट अतिथि प्रो. सुंदर स्वामीनाथन ने कहा, ‘हर डॉक्टर स्वाभाविक रूप से एक शोधकर्ता होता है, लेकिन सीमाओं से परे सोचना ज़रूरी है।’ उन्होंने शोध को प्रयोगशाला से रोगियों तक पहुंचाने के महत्व को रेखांकित किया।
इस वर्ष 50 से अधिक चिकित्सा नवाचारों को प्रदर्शित किया गया, जिनमें प्रो. बबीता घई, डॉ. जय शुक्ला, डॉ. रविंद्र खैवाल, डॉ. रमेश वालिया, डॉ. संदीप पटेल और डॉ. दंडपाणी एस.एस. जैसे प्रमुख शोधकर्ताओं के कार्य शामिल थे। संस्थान के निदेशक प्रो. विवेक लाल ने कहा - हमारी कठोर कार्य अनुसूची के बावजूद, यहां अनुसंधान जीवंत है, क्योंकि यह रोगियों के लिए, उनके साथ और उनके सहयोग से किया जाता है। डीन (शोध) प्रो. संजय जैन ने बताया कि संस्थान को वर्ष 2023-24 में 109 करोड़ की शोध निधि प्राप्त हुई और 915 शोध परियोजनाएं चलाई गईं।
नवाचारों और शोधकर्ताओं का सम्मान
इस शोध दिवस में 400 से अधिक संकाय सदस्यों ने अपने शोध को पोस्टर और मौखिक प्रस्तुतियों के माध्यम से प्रदर्शित किया। 48 शीर्ष शोधकर्ताओं और 40 नवाचारकर्ताओं को सम्मानित किया गया।
चिकित्सा श्रेणी में : प्रथम पुरस्कार: प्रो. अजय कुमार दुसेजा (यकृत रोग) द्वितीय पुरस्कार: प्रो. शंकर प्रिंजा (सार्वजनिक स्वास्थ्य)
तृतीय पुरस्कार: प्रो. रितेश अग्रवाल (फेफड़े रोग)
शल्य चिकित्सा श्रेणी में:
प्रथम: प्रो. काजल जैन (निश्चेतना विज्ञान) द्वितीय: प्रो. निधि भाटिया (निश्चेतना विज्ञान)
मरीजों को मिलेगा नया और बेहतर इलाज
कैंसर और गंभीर बीमारियों के इलाज में नई तकनीक लाने के लिए पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ और आईआईएससी, बेंगलुरु ने एक महत्वपूर्ण समझौता किया है। इस साझेदारी से दोनों संस्थान मिलकर चिकित्सा शोध को नई दिशा देंगे और मरीजों के लिए बेहतर और किफायती इलाज विकसित करेंगे। इस सहयोग का सबसे बड़ा फायदा यह है कि पीजीआईएमईआर को भारत में सीएआर-टी सेल थेरेपी शोध के लिए चुना गया है। यह आधुनिक तकनीक कैंसर के इलाज में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है। पीजीआईएमईआर इस शोध में काम करने वाला देश का पहला सरकारी अस्पताल बन गया है। इस समझौते पर आईआईएससी के प्रो. सुंदर स्वामीनाथन और पीजीआईएमईआर के निदेशक प्रो. विवेक लाल ने हस्ताक्षर किए। प्रो. विवेक लाल ने कहा, सीएआर-टी सेल थेरेपी कैंसर के इलाज का भविष्य है, और पीजीआईएमईआर इस शोध के जरिए हजारों मरीजों को नई उम्मीद देगा। प्रो. स्वामीनाथन ने कहा, पीजीआईएमईआर की डॉक्टरों की टीम और आईआईएससी के वैज्ञानिक मिलकर नई खोज करेंगे, जिससे कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों का बेहतर इलाज संभव हो सकेगा। इस साल के अंत तक टाटा आईआईएससी मेडिकल स्कूल की शुरुआत भी होने जा रही है। इसमें एमडी-पीएचडी, डीएम-पीएचडी और एमसीएच-पीएचडी जैसे विशेष पाठ्यक्रम शुरू होंगे, जिससे भविष्य में और बेहतर डॉक्टर और वैज्ञानिक तैयार किए जा सकें।

