चंडीगढ़/पंचकूला, 25 फरवरी (नस)
शहर के नागरिकों के लिए भारी मुसीबत बने हड़ताली बिजली कर्मचारियों के खिलाफ आज प्रशासन ने सख्त कार्रवाई की। स्वास्थ्य सचिव की अध्यक्षता वाली समिति ने आज अपनी रिपोर्ट प्रशासक के सलाहकार को सौंप दी, जिस पर कार्रवाई करते हुए बीती 22 फरवरी की रात को शहर में गहराए बिजली संकट की वजह बने इन बिजली कर्मचारियों में से प्रशासन ने 17 आउटसोर्स कर्मचारियों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया है जबकि 143 कर्मचारियों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने की कार्रवाई की।
इसके अलावा विद्युत विभाग के 126 नियमित कर्मचारियों को भी सरकारी डयूटी से अनुपस्थित रह गंभीर रूप से अनुशासन भंग करने के आरोप में कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं।
चंडीगढ़ प्रशासन ने स्वास्थ्य सचिव यशपाल गर्ग की अध्यक्षता में गठित की गई समिति ने बीती 22 फरवरी की रात कर्मचारियों की हड़ताल के किन कारणों से बिजली गुल हुई, इसकी पड़ताल की। बताया गया कि समिति ने चिकित्सा अधीक्षक जीएमएसएच 16ए , चिकित्सा अधीक्षक जीएमसीएच 32 और गुरप्रीत सिंह एक्सईएन (विद्युत) को जांच में शामिल किया और उन खामियों का पता लगाया जिनसे अस्पतालों की इमरजेंसी में भी बिजली गुल होने से संकट गहरा गया। जीएमसीएच 32 और जीएमएसएच 16 की बिजली आपूर्ति की निगरानी कर रहे दो जूनियर अभियंताओं को अगली जांच तक के लिए निलंबित कर दिया गया है। उधर, पावर यूनियन की हड़ताल के बाद बिजली आपूर्ति बहाल करने में सेना अधिकारियों से सहयोग नहीं मिलने पर अधीक्षण अभियंता (विद्युत) को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
गौरतलब है कि यूटी पावनमैन यूनियन के आह्वान पर बिजली कर्मचारियों की तीन दिनों की हड़ताल की घोषणा की गई थी। बीती 22 की रात को अभी हड़ताल शुरू हुए कुछ ही घंटे बीते थे कि संदिग्ध हालात में जीएमसीएच और जीएमएसएच अस्पतालों की बिजली गुल हो गई। अस्पतालों की इमरजेंसियों में भी बिजली गुल रही, जिसके चलते कई आप्रेशन टालने पड़े थे। इन विकट हालातों के बारे में एडवाइजर के आदेश पर स्वास्थ्य सचिव की अध्यक्षता में समिति गठित की गई थी।