
यह घटना मराठों की वीरता के इतिहास से जुड़ी है। मराठों ने सिंहगढ़ पर आक्रमण किया। वीर मराठा गोह की कमन्द के सहारे किले पर चढ़ गये। दुर्भाग्यवश संघर्ष में ताना जी मारे गये। उनकी मृत्यु की सूचना से सेना में भगदड़ मच गई। सैनिकों में उसी रस्से से उतरने की होड़ मच गई जिससे वे किले पर चढ़े थे। तानाजी के छोटे भाई सूर्यजी ने बाजी पलटती देखी तो तत्क्षण उस रस्से को काट दिया जिससे सेना किले में चढ़ी थी। साथ ही सैनिकों को रक्त की अंतिम बूंद तक लड़ने को प्रेरित किया। मराठा सैनिकों ने देखा कि वापस जाने का कोई विकल्प नहीं बचा है। हार कर मरने से अच्छा है लड़कर ही मरा जाये। सैनिकों ने अंतिम विकल्प चुना और सिंहगढ़ की सेना पर हमला बोल दिया। सेना नये उत्साह से युद्ध में जुट गई। अंतत: कड़े मुकाबले के बाद मराठा सेना युद्ध जीत गई। निस्संदेह, यदि सूर्याजी ने वो रस्सा न काटा होता तो मराठा पराजित हो जाते। फिर इतिहास नयी शक्ल लेता।
प्रस्तुति : डॉ. मधुसूदन शर्मा
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