यूनान की राजधानी में चित्र-प्रदर्शनी का आयोजन हुआ तो राजा-रानी सर्वोत्तम चित्र का चुनाव करने आए। प्रदर्शनी में एक से बढ़कर एक चित्र थे, लेकिन यूनान के महान देवता अपोलो के एक चित्र ने राजा-रानी का मन मोह लिया और उसे सर्वोत्तम घोषित किया गया। जब पुरस्कार के लिए कलाकार का नाम पुकारा गया तो कोई मंच पर नहीं आया। राजा ने सैनिकों को आदेश दिया कि कलाकार को ढूंढ़ कर लाएं। एक गुलाम सिर झुकाए खड़ा हुआ था। राजा से गुलाम बोला—मुझे माफ़ करें, गुलाम को चित्र बनाने की मनाही है, लेकिन कला मेरे तन-मन में बसी हुई है। मैं चाह कर भी खुद को रोक नहीं पाया और चित्र बना दिया। आप जो सजा चाहें, दे दें। राजा ने कहा—तुम कला के सच्चे साधक हो, जो मृत्यु से बिना डरे चित्र बनाने में लगे रहे। सच्ची कला-साधना के लिए तुम्हें सज़ा नहीं, पुरस्कार दिया जाता है। आज से तुम्हारी कला पर कोई प्रतिबंध नहीं रहेगा।
’ प्रस्तुति : योगेंद्र नाथ शर्मा ‘अरुण’