मदन गुप्ता सपाटू
पितृ पक्ष आने वाला है। पितृ पक्ष अपने पूर्वजों को याद करने का, उन्हें नमन करने का समय होता है। साथ ही यह वर्तमान पीढ़ी को यह संदेश देने का वक्त होता है कि अपने से बड़ों का सम्मान करें। जहां निधन के बाद भी इतनी श्रद्धा से अपने बड़ों को याद किया जाता है, वहां बड़ों के प्रति स्नेह की सीख होनी तो स्वाभाविक है। यह श्रद्धा ही है कि हम अपने पूर्वजों की तस्वीरों को अपने घर में बहुत श्रद्धा से रखते हैं और उन पर पुष्प आदि अर्पण करते हैं।
कुछ लोग पूर्वजों के चित्रों को आल्मारी या बॉक्स में बंद कर के रख देते हैं औेर इन्हें श्राद्ध या पितृ पक्ष के अवसर पर बाहर निकालते हैं। कहीं-कहीं व्यापारिक स्थलों पर पूर्वजों की बड़ी-बड़ी तस्वीरें या उनकी मूर्तियां भी दिख जाती हैं। अनेक नेता तो अपने जीते जी ही अपनी मूर्तियां सार्वजनिक स्थानों पर लगवा देते हैं। असल में यह वास्तु नियमों के विपरीत है। घरों में भी पूर्वजों के चित्र वास्तु नियमों के अनुसार रखे जाएं तो उनका आशीर्वाद बना रहता है और सुख-समृद्धि आती है।
- वास्तु नियमों के अनुसार पितरों के प्रति श्रद्धा तो अगाध हो, लेकिन उनकी एक से अधिक तस्वीर न लगाई जाएं। इससे नकारात्मकता आती है। इसके साथ ही घर के प्रवेश द्वार के सामने पितरों की तस्वीर नहीं लगाई जानी चाहिए। इसके अलावा शयन कक्ष में भी पितरों की तस्वीर नहीं लगानी चाहिए। यह भी ध्यान रखें कि रसोई घर में पितरों की तस्वीर नहीं लगाई जाए। घर में पितरों की तस्वीर उत्तर दिशा में लगाई जानी चाहिए। माना जाता है कि पितरों की तस्वीर का मुख हमेशा दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए। दक्षिण दिशा को यम की दिशा माना जाता है। सभी पितर दक्षिण दिशा में निवास करते हैं। इसलिए दक्षिण दिशा में भी पितरों की तस्वीर लगाई जा सकती है।
- शौचालय और स्नानघर के पास गलती से भी पितरों की तस्वीर ना लगाएं। भगवान की मूर्तियों के साथ भी पितरों की तस्वीर नहीं लगानी चाहिए। घर में पूर्वजों का फोटो मध्य स्थान में कभी नहीं लगाना चाहिए। कहा जाता है कि ऐसा करने से मान-सम्मान की हानि होती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, पितरों की फोटो को कभी भी घर के जीवित लोगों की तस्वीरों के साथ नहीं लगाना चाहिए।
- घर में अपने पुरखों की तस्वीर को कभी भी लटका कर नहीं रखना चाहिए। तस्वीरों को हमेशा लकड़ी के स्टैंड पर ही रखना चाहिए। गौर हो कि इस बार 20 सितंबर को पूर्णिमा का श्राद्ध पड़ रहा है और 21 तारीख से लेकर 6 अक्तूबर तक पितृपक्ष रहेगा। पितरों के प्रति अगाध श्रद्धा रखें और वर्तमान पीढ़ी को भी बड़ों के सम्मान का संस्कार दें।