एकदा : The Dainik Tribune

एकदा

चाह से राह

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एक बार गौतम बुद्ध के एक शिष्य ने उनसे पूछा, ‘भगवन, क्या हर किसी को मोक्ष मिल सकता है?’ बुद्ध ने कहा, ‘मिल सकता है।’ इस पर शिष्य बोला, ‘तो मिल क्यों नहीं जाता?’ गौतम बुद्ध ने शिष्य को अगले दिन प्रातःकाल आने को कहा। जब अगले दिन शिष्य प्रातःकाल बुद्ध के पास पहुंचा तो बुद्ध ने कहा, ‘तुम नगर में जाओ और हर तरह के लोगों से मिलकर, सबसे पूछो कि वे क्या चाहते हैं?’ सायंकाल शिष्य लौटकर गौतम बुद्ध के पास आया और बोला, ‘भगवन, कोई धन, कोई संतान, कोई स्त्री तो कोई घर-जायदाद चाहता है।’ यह सुनकर बुद्ध ने पूछा, ‘क्या कोई मोक्ष चाहता है?’ शिष्य ने उत्तर दिया, ‘नहीं, कोई भी मोक्ष नहीं चाहता।’ बुद्ध बोले, ‘जो मोक्ष की इच्छा ही नहीं रखेगा, उसे वह भला कैसे मिल सकता है? मोक्ष प्राप्त करने के लिए आस्थापूर्वक ज्ञान, ध्यान और प्रयत्न का होना भी आवश्यक है। जिसको जिसकी चाह नहीं, उसको उसकी राह नहीं।’ प्रस्तुति : राजेंद्र कुमार शर्मा

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