एकदा : The Dainik Tribune

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आहत मन का संकल्प

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मुम्बई में जर्मनी से हर्मिस्टन नामक सर्कस कंपनी का प्रदर्शन धोबी तालाब के मैदान पर रखा गया। भारत में उससे पहले सर्कस का नाम कोई जानता ही नहीं था। सर्कस समाप्त होने पर सर्कस का मालिक दर्शकों से मुखातिब होते हुए बोला, ‘ऐसा उत्कृष्ट प्रदर्शन मात्र यूरोपीय ही कर सकते हैं, हिंदुस्तानियों के बस की यह बात नहीं।’ उसके ये शब्द दर्शक दीर्घा में बैठे प्रोफेसर छत्रे के हृदय में तीर की तरह लगे। उन्होंने उसी समय प्रण कर लिया कि वे शीघ्र ही भारतीय सर्कस कंपनी प्रारंभ करके दिखाएंगे। अपनी प्राध्यापक की नौकरी से त्यागपत्र देकर वे सांगली महाराज व महाराज वाडकर का सहयोग लेकर इस कार्य हेतु लग गए। अपना दृढ़ संकल्प पूर्ण करते हुए उन्होंने विजयादशमी के दिन ‘प्रो. छत्रे ग्रैंड सर्कस’ के नाम से भारत की पहली सर्कस कंपनी आरंभ की। प्रस्तुति : सतपाल

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