एक बार खलीफा हजरत अबूबकर को उनके एक शिष्य ने मिठाई लाकर दी। खलीफा ने पूछा, ‘यह तुम्हें कहां से मिली?’ शिष्य ने कहा, ‘मैंने एक व्यक्ति का हाथ देखकर उसके भविष्य के बारे में कुछ कहा था। मेरी भविष्यवाणी सही निकली। उसी ने मिठाई दी है।’ खलीफा ने पूछा, ‘क्या तुम्हें ज्योतिष विद्या आती है?’ उसने कहा, ‘नहीं, मैंने तो बस हाथ देखने का नाटक किया और अपने मन से ही कुछ कह डाला।’ तब तक खलीफा मिठाई का एक टुकड़ा मुंह में ले चुके थे। यह सुनते ही उन्होंने तत्काल उसे थूक दिया और नाराज होकर बोले, ‘तुमने झूठ की मिठाई खिलाकर मेरा ईमान भ्रष्ट कर दिया। शुक्र है, मैंने पूरी मिठाई नहीं खाई थी।’ शिष्य ने माफी मांगी। खलीफा ने उसे माफ करते हुए कहा, ‘याद रखो, झूठ की कमाई ज्यादा दिन नहीं टिकती और न ही इस कमाई से सुख-शांति मिलती है।’
प्रस्तुति : मुकेश शर्मा