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व्यवहार का औचित्य

एकदा

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एक बार एक संत अपने अनुयायियों को प्रवचन दे रहे थे। वहां मौजूद एक साधक ने पूछा कि महात्मा जी इंसान का सबसे बड़ा शत्रु कौन है। उन महात्मा का बड़ा ही तार्किक जवाब था। महात्मा ने एक जंग लगा हुआ लोहे का टुकड़ा दिखाकर बताया कि जिस प्रकार लोहे को उसका जंग ही नष्ट करता है। लोहे का सबसे बड़ा दुश्मन स्वयं उसका जंग ही है। उसी प्रकार इंसान के कुत्सित विचार और व्यवहार ही उसको पतन की ओर ले जाते हैं। इंसान का सबसे बड़ा शत्रु उसके तुच्छ विचार और उसके मन में समाहित छोटी मानसिकता ही है। महात्मा के इस छोटे से प्रसंग से जीवन को पहचानने की प्रेरणा मिलती है। प्रस्तुति : संदीप कुमार

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