सत्यव्रत बेंजवाल
आषाढ़ शुक्ल पक्ष में गुप्त नवरात्र 30 जून से प्रारंभ होंगे। इस बार यह बेहद अद्भुत शुभ संयोग में प्रारंभ हो रहे हैं। नवरात्र के प्रथम दिन गुरु-पुष्य योग, सर्वार्थसिद्धि योग, अमृतसिद्धि योग, आडल व विडाल योग बन रहे हैं। इस दिन ध्रुव योग सुबह 9.52 तक रहेगा। ज्योतिष शास्त्र के काल गणना में इन सभी योगों को शुभ कार्यों के लिए उत्तम व प्रशस्त माना गया है।
शक्ित उपासना (दुर्गा) का पर्व नवशक्ितयों से युक्त होने को नवरात्र कहा जाता है। ‘श्रीमद् देवी भागवत’ में नवरात्र व्रत का विस्तृत उल्लेख मिलता है, इसमें महर्षि व्यास जी ने नवरात्र व्रत का अनुष्ठान जनमेजय को बताया था। नवरात्र व्रत वर्ष में चार बार आते हैं। चैत्र, आश्िवन, आषाढ़ एवं माघ माह के शुक्ल पक्ष की नौ तिथियां नवरात्र संज्ञक होती हैं, जो पूजा-व्रत के लिए विशेष रूप में मान्य हैं।
माघ एवं आषाढ़ माह में आने वाले नवरात्र ‘गुप्त-नवरात्र’, चैत्र माह के ‘शयन-नवरात्र’ और आश्िवन के ‘बोधन-नवरात्र’ कहलाते हैं। इन सभी नवरात्र में पराम्बा दुर्गा की उपासना का महात्म्य है। गुप्त नवरात्र में अघोरी एवं तांत्रिक साधना करने वाले दस महाविद्याओं को प्रसन्न करने के लिए गुप्त पूजा-जाप करते हैं। गुप्त नवरात्र में मां कालिका, तारा, त्रिपुर सुन्दरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, धूम्रवती, बगुलामुखी, मातंगी और मां कमला के स्वरूप की आराधना की जाती है।
गुप्त नवरात्र में तांत्रिक व अघोरी मां पराम्बा की अर्द्धरात्रि में पूजा करते हुए मंत्र साधना करते हैं। जनमानस को इन नवरात्र में दुर्गा की प्रतिमा स्थािपत करके लाल सिंदूर, चूनर, नारियल, फल-पुष्प व शृंगार अर्पित कर ‘दुर्गा सप्तशती’ का पाठ कुंजिका स्त्रोत या ‘ऊँ दुं दुर्गायै नम:’, या ‘ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे’ का जाप एवं पूजा गुप्त रूप से करनी चाहिए। इन नवरात्र में भी अखंड जोत जलाकर व्रत-उपवास भी किया जा सकता है। यह नवरात्र इष्टसिद्धि एवं मनोवांछित फल प्राप्ित हेतु हैं।
इस बार 7 जुलाई को अष्टमी या 8 जुलाई को भढ़ली नवमी को कन्या पूजन करें। देवी व्रत में कुमारी (कन्या) पूजन परमावश्यक माना गया है।
इन नवरात्र में प्रतिदिन देवी को द्रव्य चढ़ाना चाहिए। प्रतिपदा को केश के संस्कार वाले द्रव्य, आंवला एवं सुगंधित तेल आदि, द्वितीया को बाल बांधने को रेशम डोरी, तृतीया को सिन्दूर व दर्पण, चतुर्थी को मधुपर्क, तिलक व नेत्रांजन, पंचमी को अङ्गराग व अलंकार षष्ठी को रक्त पुष्प, सप्तमी को गृहमध्य पूजा, अष्टमी को उपवासपूर्वक पूजा व नवमी को कुमारी पूजा व महापूजा का विधान है। दशमी को नीरांजन व पारणा विसर्जन करना चाहिए। इन गुप्त नवरात्र में प्रतिदिन देवी को प्रसन्न करने हेतु भोग लगाना चाहिए। प्रथम दिन गौ घृत से बना श्वेत मिष्ठान, दूसरे दिन मिश्री, चीनी एवं पंचामृत, तृतीय दिन गौदुग्ध से बना पदार्थ, चौथे दिन मालपुए का भोग, पंचम दिन केले का फल, छठे दिन शहद, सप्तम दिन गुड़ का नैवेद्य, अष्टम दिन नारियल एवं नौवें दिवस हलवा, चना, पूरी, खीर।
नवरात्र के दशम दिन पारणा करके भगवती को पुष्पांजलि अर्पण करके क्षमा प्रार्थना करनी चाहिए।
- इन गुप्त नवरात्र में मकर, कुंभ, मीन, कर्क, वृश्िचक राशि वाले जातकों को शनि की साढ़ेसाती व ढैया के दुष्प्रभाव से बचने हेतु माता जगदम्बा का विधिवत पूजन-जाप एवं षोड़शोपचार पूजन करना चाहिए।
- मेष, सिंह, तुला राशि वालों को माता को दैनिक गौदुग्ध पदार्थ का भोग लगाना चाहिए।
- वृष, मिथुन, कन्या, धनु राशि वालों को दुर्गाकवच एवं ‘ऊँ दुं दुर्गायै नम:’ का जाप करना शुभ रहेगा।
घटस्थापन
30 जून को सुबह 5.26 से 6.43 बजे तक और अभिजीत मुहूर्त सुबह 11.57 से 12.53 तक होगा।