Tribune
PT
Subscribe To Print Edition About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

जुनून के संकल्प से उड़ान

एकदा

  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement

जीन हार्पर तीसरी कक्षा की छात्रा थीं। उनके पिताजी नॉर्थ कैरोलिना में किसानों की एक छोटी-सी बस्ती में काम करते थे। जीन पायलट बनना चाहती थीं, लेकिन दुर्भाग्यवश उन्हें अपने स्कूल में एफ ग्रेड मिला था। उनकी टीचर ने उनके सपने को जानकर कहा, ‘तुम्हारा सपना परियों की कहानी जैसा है, क्योंकि महिलाएं पायलट नहीं बन सकतीं।’ जीन ने अपने सपनों को एक कोने में दबा दिया। एक दिन हाईस्कूल में अंग्रेजी की टीचर, डोरोथी स्लेटन ने पूरी कक्षा को एक होमवर्क दिया कि वे बड़े होकर क्या बनना चाहते हैं। जीन उत्साह से पायलट लिखने वाली थीं, लेकिन तभी उन्हें अपनी पुरानी शिक्षिका की बात याद आई और उन्होंने लिख दिया कि वे वेट्रेस बनना चाहती हैं। डोरोथी ने बच्चों के पेपर देखे और फिर बोलीं, ‘मुझे लगता है कि आप सब ने ईमानदारी से वह नहीं लिखा।’ टीचर की बात सुनकर जीन ने चहक कर अपने पायलट बनने का सपना फिर से लिख दिया। डोरोथी ने जीन का सपना देखकर कहा, ‘यदि तुम दीवानगी की हद तक अपने सपने को चाहती हो तो पायलट जरूर बनोगी।’ जीन के नन्हे पंखों को उड़ान मिल गई और वह आगे बढ़ती गईं। आखिरकार, कड़ी मेहनत के बाद वह प्राइवेट पायलट बन गईं। वर्ष 1978 में, वह यूनाइटेड एयरलाइन्स द्वारा नियुक्त की गई पहली तीन महिलाओं में से एक थीं। जीन हार्पर अपने संघर्ष के कारण बोइंग 737 की कैप्टन बन चुकी थीं।

Advertisement
Advertisement
×