
पल्लवी सिंह
सफलता हासिल करने के लिए मन का शांत होना आवश्यक है। एक अशांत और चिंतित मन से बेहतर परिणाम की उम्मीद नहीं कर सकते। अशांत मन किसी भी काम पर पूरा फोकस नहीं कर पाता, जिससे कोई भी कार्य अपने सर्वश्रेष्ठ लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाता। अगर जीवन में शांति है तो आप संसार के सबसे सुखी व्यक्ति हैं।
किसी भी समाज में शांति को व्यक्ति से अलग करके नहीं देखा जा सकता है। कभी-कभी व्यक्ति समस्त भौतिक सुखों को पाकर भी संतुष्ट नहीं हो पाता है, क्योंकि जब तक हम मानसिक रूप से शांत नहीं रहते तब तक कोई भौतिक वस्तु हमें सुख-शांति नहीं दे सकती है। कभी-कभी व्यक्ति की प्रसिद्धि भी उसकी शांति का नाश कर देती है। क्योंकि प्रसिद्धि को बनाए रखने में व्यक्ति अपनी सम्पूर्ण ऊर्जा लगाता है। कुछ समय तक तो वह लोकप्रियता उसे खुशी अवश्य देती है, परंतु उसके बाद उसे उससे खीझ और बोरियत महसूस होने लगती है।
मन को शांत रखना जीवन के लिए अतिआवश्यक है क्योंकि उसके बिना जीवन-पथ निरर्थक साबित हो जाता है। मानव के निर्माण में मन काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। गीता में श्रीकृष्ण ने कहा है कि मनुष्य का मन उसके मोक्ष और बंधन का कारक होता है। बहुत से लोगों की आदत होती है कि वो पुरानी बातों को सालों साल तक याद रखते हैं और उन पर सोचते रहते हैं। किसी ने कुछ कड़वी बात कह दी तो उसे लम्बे समय तक दिमाग में रखना और उस पर सोचते ही रहना मन की शांति को बिगड़ने के लिए पर्याप्त है। इसलिए कड़वी बातों को अधिक समय तक मन में न रखें। इसके बजाय आप कुछ अच्छी और मधुर स्मृतियों के बारे में सोच सकते हैं जो मन को अच्छी लगें।
मन को शांत रखने के बारे में एक बार दलाई लामा ने कहा था, ‘वृक्ष काटकर, पशुओं को मारकर तथा खून की नदी बहा कर ही यदि स्वर्ग प्राप्त होता है तो नर्क किसे प्राप्त होगा?’ विभिन्न मतों के अनुयायियों को एक-दूसरे के विश्वास तथा मूल्यों का सम्मान करना चाहिए।
जिंदगी की मूल वास्तविकता यह जानना होता है कि हमें क्या करने से शांति मिलती है? बहुत अधिक धन कमा लेने मात्र से व्यक्ति धनी तो हो सकता है लेकिन मन को शांत नहीं कर पाता है। यदि इस कथन में सत्यता है तो गरीबों को सूखी रोटी और टूटी खाट पर कभी सुकून की नींद नहीं आती। सब भौतिक वस्तुओं को पा लेने के बाद भी व्यक्ति अपने जीवन के अंत में शांति की खोज में परमात्मा को पुकारता है।
सब से अधिक पढ़ी गई खबरें
ज़रूर पढ़ें