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पश्चाताप से सुकून

एकदा
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एक बार राजा राम मोहन राय से मिलने एक आदमी आया। उस आदमी ने उनको सोने के सिक्के देने चाहे। राजा राम मोहन राय ने कहा कि बेशक इस समय समाज सेवा के लिए धन चाहिए मगर सबसे पहले यह बताओ कि तुमने यह सब कैसे अर्जित किया। इस पर वह आदमी झूठ न कह सका। उसने बताया कि ठगी के कारनामे करके उसने दौलत जमा कर ली है। अब वह सर्दी में गर्म इलाके में तथा गर्मी में पहाड़ में आलीशान ढंग से रहता है। मगर इस पर भी दिल को चैन नहीं आ रहा है। हर समय डर लगा रहता है कि ठगी करने वाले बाकी अपराधी उसे मार न डालें। इसलिए आपको कुछ दौलत सौंपकर आपका स्नेह तथा आश्रय चाहता हूं। राजा राम मोहन राय जी ने तुरंत वह सिक्के लौटा दिये। उस आदमी को समझाया कि सारा धन उन लोगों को लौटाकर सरल जीवन जियो। मैं इसे ही आपकी सामाजिक सेवा मान लेता हूं। वह आदमी उसी पल एक-एक का नाम लिखकर रुपया पैसा आदि लौटाने का संकल्प करने लगा। इस पल में वह जीवन में पहली बार संतुष्ट और खुशी महसूस कर रहा था।

प्रस्तुति : मुग्धा पांडे

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