मुख्य समाचारदेशविदेशहरियाणाचंडीगढ़पंजाबहिमाचलबिज़नेसखेलगुरुग्रामकरनालडोंट मिसएक्सप्लेनेरट्रेंडिंगलाइफस्टाइल

विश्वास का आधार

एकदा
Advertisement

एक बार महाराष्ट्र का एक किसान पुणे में लोकमान्य गंगाधर तिलक के पास पहुंचा और डेढ़ हजार रुपये के चांदी के सिक्कों की थैली उन्हें सौंपी। किसान ने कहा कि वह यात्रा से लौटने के बाद वापस ले लेगा। तिलक जी ने किसान से आग्रह किया कि इस धनराशि की रसीद ले लें। किसान बोला आप मुझे शर्मिंदा कर रहे हैं। आप पर तो पूरा देश विश्वास करता है तो आप पर अविश्वास करने की धृष्टता मैं कैसे कर सकता हूं। इसी बीच तिलक जी के एक परिजन ने थैली खोलकर किसान के सामने चांदी के सिक्के गिनने शुरू किये। तिलक जी ने उसे डांट लगाई और कहा कि जब एक व्यक्ति बिना रसीद के विश्वास करके इतनी बड़ी राशि हमें सौंप रहा है तो हम किस आधार पर उस पर अविश्वास करें कि थैली में सिक्के कम हो सकते हैं। तिलक जी का परिजन निरुत्तर हो गया और किसान के मन में तिलक जी के प्रति श्रद्धा और बढ़ गई।

प्रस्तुति : मधुसूदन शर्मा

Advertisement

Advertisement
Tags :
‘विश्वास’,
Show comments