इंदौर, 29 मार्च (एजेंसी)
आमों की मलिका के रूप में मशहूर किस्म ‘नूरजहां’ के शौकीनों के लिये बुरी खबर है। कुदरत की मार के चलते आम की इस दुर्लभ किस्म के पेड़ों पर बौर (फूल) ही नहीं आये हैं जो पहले ही जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से जूझ रही है। अफगानिस्तानी मूल की मानी जाने वाली आम प्रजाति नूरजहां के गिने-चुने पेड़ मध्यप्रदेश के अलीराजपुर जिले के कट्ठीवाड़ा क्षेत्र में ही पाये जाते हैं। यह इलाका गुजरात से सटा है। इंदौर से करीब 250 किलोमीटर दूर कट्ठीवाड़ा में इस प्रजाति की खेती के विशेषज्ञ इशाक मंसूरी ने बताया, ‘कभी-कभी ऐसा होता है, जब नूरजहां के पेड़ों पर एक साल बौर आते हैं और इसके अगले साल इसके वृक्ष बौरों से वंचित हो जाते हैं। इसे कुदरत का खेल ही कहा जा सकता है।’ उन्होंने बताया, ‘पिछले साल नूरजहां के फलों का वजन औसतन 2.75 किलोग्राम के आस-पास रहा था। तब शौकीनों ने इसके केवल एक फल के बदले 1,200 रुपये तक की ऊंची कीमत भी चुकायी थी।’
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