रक्तदान जैसा ही महत्वपूर्ण है नेत्रदान
नगर संवाददाता
चंडीगढ़, 16 अक्टूबर। आंखें मानव शरीर का अति संवेदनशील अंग हैं। ये ईश्वर द्वारा इंसान को दिया गया एक अनमोल उपहार हैं। लेकिन मृत्यु के बाद इस अंग की कोई अहमियत नहीं रहती। पर अगर हम चाहें तो मृत्यु के बाद भी आंखों को अनमोल बनाया जा सकता है।
इसके लिए हमें नेत्रदान का संकल्प लेना होगा। ताकि मृत्यु के बाद भी आंखें जीवित रहें और किसी की अंधेरी जिंदगी रोशन हो जाए। यह कहना है, चंडीगढ़ स्थित कॉर्निया सेंटर के निदेशक डॉ. अशोक शर्मा का।
विश्व दृष्टि दिवस के अवसर पर लोगों को जागरूक करते हुए डॉ. शर्मा ने कहा कि हर व्यक्ति को नेत्रदान करने का संकल्प लेना चाहिए।
रक्तदान महादान की तरह नेत्रदान भी एक महान कार्य है। लेकिन यह खभाल करेंगे। सामान्यत: लोगों को कई प्रकार के नेत्र रोगों का सामना करना पड़ता है। हांलाकि नेत्र रोगों के इलाज की कई तकनीकें चिकित्सा क्षेत्र में उपलब्ध हैं। लेकिन कृत्रिम स्टेम सेल नेत्र रोग चिकित्सा के लिए एक वरदान है। शोध के मुताबिक यह तकनीक भविष्य में चिकित्सा के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लेकर आएगी।
उन्होंने बताया कि कृत्रिम स्टेम सेल बीमार एवं विकृ त अंगों का पुनरोत्पादन करने की योग्यता रखते हैं। कई रोगों के इलाज हेतु स्टेम सेल पर प्रभावी शोध किए गए हैं। रसायनों एवं किसी गर्म चीज के कारण लगने वाली चोटों, जल्दी ठीक न हो सकने वाले कॉर्नियल अल्सर एवं आंखों के रुखेपन संबंधी कई रोगों के इलाज में ये ज्यादा सहायक साबित हुए हैं।
इस समय उम्र संबंधी मैक्यूलर विकार एवं अन्य रेटाइनल पिगमेंट एपिथेलियल विकारों का इलाज कर स्टेम सेल का मूल्यांकन किया जा रहा है।
स्टेम सेल उपचार पद्धति ने परकिंसोनिज्म, अल्जाइमर टाइप-1, मधुमेह, मोटर न्यूरॉन विकार, गठिया एवं दिल संबंधी बीमारियों का उपचार करने में सफलता हासिल की है। साथ ही यह उन लोगों के लिए भी लाभदायक सिद्ध होगी, जो किसी कारण से प्रजनन क्षमता से वंचित हैं। यह क्रोमोसोम की सं या में एवं शुक्राणुओं के विकास में फेरबदल को संभव बना सकता है।