अमिताभ स.
आजकल दिल्ली वाले बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं, क्योंकि दिल्ली निवासी राहुल बुच्चर अयोध्या की रामलीला में भगवान राम की भूमिका निभा रहे हैं। अयोध्या की रामलीला देश ही नहीं, दुनिया की सबसे बड़ी रामलीला है। आगामी 5 अक्तूबर तक रोज़ रात 7 से 10 बजे तक दूरदर्शन के रेट्रो, यूपी वगैरह कई चैनलों पर सीधा प्रसारण आ रहा है। इसके ज़रिए करीब 26 करोड़ लोग देख रहे हैं। इस तरह बीते तीन साल से आयोजित हो रही अयोध्या की रामलीला दुनिया की सबसे बड़ी रामलीला बन गई है। अंदाज़ा है कि 2020 में इसे 16 करोड़ लोगों ने देखा, और पिछले साल 22 करोड़ ने।
इस बार श्री हनुमान की भूमिका बिंदु दारासिंह और रावण का किरदार शहबाज़ खान निभा रहे हैं। राकेश बेदी, रजा मुराद, गूफ़ी पेंटल, अवतार गिल, मनोज तिवारी, भाग्यश्री जैसे फिल्मी कलाकार मंच पर नज़र आयेंगे। और राम के रोल में हैं दिल्ली के स्टेज कलाकार राहुल बुच्चर। उनका जन्म दिल्ली में हुआ, स्कूली पढ़ाई नई दिल्ली के सेंट कोलंबस स्कूल में हुई और कारोबार करते हैं। दो साल से राहुल बुच्चर ही राम की भूमिका कर रहे हैं। उन्हें एक्टिंग का जुनून है। उन्होंने 2011 में पहली बार नाटक ‘बाल भगवान’ में अभिनय किया था।
राम बनने से पहले अन्य नाटकों में वह भगवान शिव, श्री कृष्ण, युधिष्ठिर, दुर्योधन और दानवीर कर्ण के रोल निभाते रहे हैं। साल 2011 में उन्होंने ‘फेलिसिटी थियेटर’ के नाम से अपनी चेरिटेबल ड्रामा कंपनी बनाई। इसी नाम से उनका दिल्ली में न लाभ न हानि के आधार पर एक्टिंग स्कूल भी है। उनकी नाटक कंपनी ने सौ से ज़्यादा लोकप्रिय नाटक पेश किए हैं। ‘वो लाहौर’, ‘चक्रव्यूह’, ‘कपल ट्रेबल’, ‘जब वी सेपरेटेड’, ‘रांग नंबर’, ‘पत्ते खुल गए’, ‘अब तेरा क्या होगा वालिया’, ‘हेलो जिंदगी’, ‘सेल्फ़ी’, ‘बीबी ओ बीबी’ वगैरह अपने अलग- अलग लोकप्रिय नाटकों के अब तक क़रीब एक हज़ार हाउस फुल शो कर चुके हैं। देश- विदेश के विभिन्न शहरों में नाटकों का मंचन करते रहते हैं। अपनी कंपनी के ज़्यादातर नाटकों में वह खुद अभिनय भी करते हैं। राहुल बुच्चर कहते हैं, ‘भगवान राम की भूमिका करना आसान नहीं है। करने वाला जीवन से बड़ा बन जाता है।’ आगे बताते हैं, ‘देवी-देवताओं के पात्र आपको मानसिक रूप से प्रभावित ज़रूर करते हैं। ऐसी भूमिकाएं करने वालों को अगले कुछ महीने तक गलत काम से बचना चाहिए। यदि आप किसी चरित्र की देह धारण करते हैं, या कोई चरित्र जीते हैं, तो स्वयं को पूरी तरह से समर्पित करना होता है।
देवी- देवताओं के अभिनय के बारे में पूछने पर वह बोले, ‘जब मैं भगवान शिव की भूमिका निभा रहा था, तो मुझे तांडव नृत्य सीखना पड़ा। तांडव बेहद कठिन नृत्य कला है। मैंने कोच की मदद ली। निर्देशक ने मुझे शिव जी का ध्यान करने की सलाह दी। चार दिनों के बाद करिश्मा हुआ। डांस फ्लोर पर गया, तो मैं तांडव करने में सक्षम था। दरअसल, मैंने दक्षिण दिल्ली के आरके पुरम स्थित मलाई मंदिर में चार दिन रुद्राभिषेक किया, और मैं खुदबखुद तांडव नृत्य सीख गया!’
अब अयोध्या की रामलीला को विश्व भ्रमण पर ले जाने की तैयारी है। पहले चरण में नेपाल, मलेशिया, इंडोनेशिया वगैरह में मंचन करने की योजना है। यात्रा का बिगुल गुरुग्राम में एक शो के मंचन से बज गया है। इस सफर में वह दादा साहिब फाल्के आइकॉन अवार्ड, नेशन आइकॉन अवार्ड 2021, भारत ग्लोबल आइकॉन अवार्ड, राष्ट्रीय कला रत्न सम्मानसमेत कई सम्मानों से नवाज़े गए हैं।
राहुल बुच्चर ने बोनी कपूर की फ़िल्म ‘मॉम’ में भी छोटा- सा रोल किया है। लेकिन वह बॉलीवुड को छू कर मंच पर लौट आये क्योंकि वह तो मंच का खोया आकर्षण वापस लाने में जुटे हैं।