Posted On November - 29 - 2019 Comments Off on राजनीतिक तमाशों से मुक्ति की छटपटाहट
नहीं, वह खबर अखबारों के पहले पन्ने पर नहीं छपी थी। पहला पन्ना तो महाराष्ट्र में चल रही राजनीतिक सर्कस से भरा हुआ था। विधायक किस होटल में बंदी बनाकर सुरक्षित रखे गये थे, कितने विधायक किस पार्टी के साथ थे, उच्चतम न्यायालय में महाराष्ट्र की सरकार के मामले के बारे में क्या हुआ, कल क्या होगा, जैसे सवालों के जवाब खोजने की कोशिश है ....
Posted On November - 29 - 2019 Comments Off on ठाकरे राज का आगाज
आखिरकार लंबे चले हाईवोल्टेज राजनीतिक ड्रामे से गुजरते हुए महाराष्ट्र में उद्धव सरकार के शपथ ग्रहण समारोह के बाद राजनीतिक परिदृश्य साफ हो गया। शपथ ग्रहण की औपचारिकताओं के बीच सबसे पहले मुख्यमंत्री के रूप में शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे ने शपथ ली और मंच पर नतमस्तक होकर जनमानस का आभार जताया। ....
Posted On November - 28 - 2019 Comments Off on एकदा
हाजी मोहम्मद एक नामी संत थे। वह साठ बार हज कर आए थे और पांचों वक्त नमाज़ पढ़ा करते थे। उन्हें अपने साठ बार के हज पर अभिमान तो था पर वह जीवन सादा ही व्यतीत किया करते थे। एक रात स्वप्न में उन्होंने स्वयं को स्वर्ग और नर्क के बीच खड़ा पाया। बीच में एक फरिश्ता खड़ा था जो कि वहां आने वालों को ....
Posted On November - 28 - 2019 Comments Off on किसी के बिखरने से किसी का निखरना
निदा फाज़ली की एक लोकप्रिय गज़ल का शे’र है—कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता/ कहीं ज़मीं तो कहीं आसमां नहीं मिलता।। जिंदगी से जुड़ा यह शे’र अपनी बात ठीक अंदाज में कहता है और बात जंचती भी है। पर इलेक्शन हो जायें और फिर भी लोगों को महीने तक सीएम ना मिले तो इसे क्या कहेंगे। ....
Posted On November - 28 - 2019 Comments Off on आपकी राय
दैनिक ट्रिब्यून में प्रकाशित राजकुमार सिंह के लेख ‘सरकार ही नहीं, साख भी गंवायी भाजपा ने’ में स्पष्ट है कि न्यायपालिका ने देशहित में बड़ा फैसला दिया है। मगर सवाल यह है कि लंबे समय से सत्ता सुख को आतुर विरोधी विचारधारा की राजनीतिक पार्टियों में सत्ता चलाने में सामंजस्य बन पायेगा? सवाल नैतिकता और विचारधारा के टकराव का भी रहेगा, जिसे ताक पर रखकर ....
Posted On November - 28 - 2019 Comments Off on संविधान को कितना जानती हैं सरकारें और हम
पिछले एक पखवाड़े पूरे देश में राजनीतिक उथल-पुथल रही। महाराष्ट्र के चुनावों में चुनाव पूर्व गठबंधन, चुनाव के पश्चात की सौदेबाजी और मेल-बेमेल गठबंधन पर आक्षेप, आरोप-प्रत्यारोप के रंग नजर आए। राजनीतिक विद्रूपताएं नजर आई। यह सूत्र कोई एक दल नहीं बोलता। 2005 में जब बिहार में राष्ट्रपति शासन रात के तीन बजे लागू कर दिया गया, उस समय भाजपा ने इसे लोकतंत्र की हत्या ....
Posted On November - 28 - 2019 Comments Off on नये नेतृत्व से बेहतर संबंधों की आस
17 नवम्बर को जैसे ही श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में गोटाभाया राजपक्षे को स्पष्ट बहुमत मिलने का ऐलान हुआ, प्रधानमंत्री मोदी ने तुरंत उन्हें अपना बधाई संदेश दिया। इस रण में राजपक्षे ने अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी सजिथ प्रेमादासा को 13 लाख 60 हजार के विशाल मत-अंतर से हराया। भारत की तरह श्रीलंका की राजनीति में भी प्रभावशाली परिवार लगातार अपना दबदबा बनाए हुए हैं। ....
Posted On November - 28 - 2019 Comments Off on भ्रष्टाचार पर वार
वह सर्वेक्षण उम्मीद जगाता है, जिसमें बताया गया है कि भारत में भ्रष्टाचार में दस फीसदी की गिरावट आई है। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के ‘द इंडिया करप्शन सर्वे 2019’ के मुताबिक भारत की रैंकिंग सुधरी है और बीते साल के मुकाबले तीन पायदान का सुधार आया है। दुनिया के 180 देशों में भारत 78वें पायदान पर आया है जबकि बीते साल वह 81वें स्थान पर ....
Posted On November - 27 - 2019 Comments Off on आपकी राय
देवेंद्र फड़नवीस एवं अजित पवार ने तथाकथित बहुमत का दावा करते हुए महाराष्ट्र में सरकार बनाकर बहुत बड़ा जुआ खेला था। दूसरी तरफ शरद पवार एनसीपी शिवसेना और कांग्रेस की संयुक्त मंडली ने सर्वोच्च न्यायालय से तुरंत फ्लोर टेस्ट की अपेक्षा रखी थी। ....
Posted On November - 27 - 2019 Comments Off on एकदा
राजधर्म का मर्म
एक राजा ने अपने शौर्य से काफी बड़ा साम्राज्य खड़ा कर लिया लेकिन हमेशा उसे चिंता रहती कि कहीं उसके साथी धोखा देकर राजपाट न छीन लें। इस चिंता में राजा अपनी प्रजा से भी कट चुका था। उसके राज्य में एक फकीर पहुंचा। राजा ने फकीर को अपनी व्यथा सुनाई। फकीर ने कहा, ‘राजन, आओ पहले मैं आपको भोजन कराता हूं।’ फकीर ने कुछ लकड़ियां इकट्ठा कर आग जलाई और उससे राजा को खाना बनाकर खिलाया।
Posted On November - 27 - 2019 Comments Off on संयोग के सुख और टीस
संयोग का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। समूची दुनिया में शायद ही कोई होगा जिसका संयोग से वास्ता न पड़ा हो। मेरे मां-बापू का विवाह अक्षय तृतीया को हुआ था और संयोग से मेरा जन्म भी अक्षय तृतीया को हुआ। मेरे एक परिचित हैं वह जिस लड़की से एकतरफा प्यार करते थे, संयोग से उसी से उनकी अरैंज मैरिज हो गई। ....
Posted On November - 27 - 2019 Comments Off on आदिवासी नियति की नियामक गलत नीतियां
भारत में कुपोषण का स्तर बेहतर नहीं हो पा रहा है तो साथ में देश के विभिन्न इलाकों से भूख से किसी के मरने की खबर आती है। हालांकि सरकार के आला अधिकारी यह मानने के लिए तैयार नहीं होते कि भोजन नहीं करने से भारत में मौतें हो रही हैं। हुक्मरान भूख से हुई मौत की वजह ‘कुछ और’ भले ही कहते रहें मगर ....
Posted On November - 27 - 2019 Comments Off on सरकार ही नहीं, साख भी गंवायी भाजपा ने
महाराष्ट्र के महानाटक का पटाक्षेप भारतीय राजनीति की सत्तालोलुपता और उसके लिए किसी भी हद तक चले जाने की अनैतिकता को पूरी तरह बेनकाब कर गया है। और यह तब हुआ है, जब देश 70वां संविधान दिवस मना रहा है। ....
Posted On November - 27 - 2019 Comments Off on लोकतंत्र की रक्षा
आनन-फानन में महाराष्ट्र से राष्ट्रपति शासन हटाने और देवेंद्र फड़नवीस को मुख्यमंत्री व एनसीपी नेता अजित पवार को उपमुख्यमंत्री बनाने के बाद उपजा राजनीतिक उबाल अब थमने को है। इस विवाद पर दायर संयुक्त याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने कार्रवाई कर लोकतंत्र की गरिमा को ही स्थापित किया है। सुप्रीम कोर्ट ने देवेंद्र फड़नवीस को 24 घंटे के भीतर सदन में बहुमत साबित करने को ....
Posted On November - 26 - 2019 Comments Off on एकदा
एक बार बनारस में स्वामी विवेकानंद जी मंदिर से पूजा करके निकल रहे थे कि तभी वहां पहले से उपस्थित बहुत सारे बंदरों ने उन्हें घेर लिया। बन्दर स्वामी जी पर आक्रमण करने को तत्पर थे। वे उनसे प्रसाद छीनने के लिए उनके निकट आने लगे। स्वामी जी बहुत भयभीत हो गए। स्वामी जी स्वयं को बचाने के लिए भागने लगे, पर वे बंदर तो ....
Posted On November - 26 - 2019 Comments Off on हर मुसीबत का एप्लीकेशन सॉल्यूशन
पराली का बवाल कुछ थमा है। बवाल इस मुल्क में थम तब जाते हैं, जब कोई नया बवाल आ जाता है। पराली से प्रदूषण निकलता है। प्रदूषण से धंधा निकलता है। धंधे से इश्तिहार निकलते हैं। प्रॉब्लम से धंधे निकलते हैं। नेता इधर से उधर हो जायेंगे, ऐसी आशंका जब होती है तो रिजोर्ट का कारोबार बढ़ जाता है। कुछ समय बाद इस तरह के ....