नयी दिल्ली, 2 दिसंबर (एजेंसी)
देश की अर्थव्यवस्था को लेकर सोमवार को लोकसभा में तीखी बहस हुई। इस दौरान, भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि जीडीपी को बाइबल, रामायण और महाभारत मान लेना उचित नहीं है। उन्होंने कार्पोरेट कर में कटौती से जुड़े संशोधन वाले ‘कराधान कानून (संशोधन) विधेयक 2019′ पर चर्चा के दौरान यह टिप्पणी की।
निशिकांत दुबे ने कई अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों को उद्धृत करते हुए कहा कि यह दौर सतत आर्थिक विकास का है और इस पैमाने पर मोदी सरकार पूरी सफलता से काम कर रही है। दुबे ने एक आर्थिक विशेषज्ञ के कथन का हवाला देते हुए कहा कि केवल जीडीपी को बाइबल, रामायण या महाभारत मान लेना सही नहीं है और भविष्य में इसका ज्यादा उपयोग नहीं होगा। उन्होंने यह टिप्पणी ऐसे समय में की है जब चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में जीडीपी दर 5 प्रतिशत से गिरकर 4.5 प्रतिशत रह गयी है। उन्होंने कहा कि इस सरकार में आम लोगों का जीवन स्तर बेहतर हो रहा है। उज्ज्वला और स्वच्छ भारत मिशन तथा 2024 तक हर घर जल पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित करना ऐसे काम हैं, जो इसे प्रमाणित करते हैं। दुबे ने कहा कि सरकार का मुख्य लक्ष्य एमएसएमई क्षेत्र को आगे ले जाने का है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने अपने समय में इतने आर्थिक करार किये, जिन्हें लेकर सरकार के पास अब कोई विकल्प नहीं है।
क्रिसिल ने जीडीपी अनुमान घटाया
मुंबई (एजेंसी) : वित्तीय साख निर्धारित करने वाली एजेंसी क्रिसिल ने चालू वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी वृद्धि दर के अपने अनुमान को काफी कम कर 5.1 प्रतिशत कर दिया है। इससे पहले उसने वृद्धि 6.3 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था। अन्य एजेंसी डन एंड ब्राड स्ट्रीट ने कहा है कि निकट भविष्य में भारत की आर्थिक वद्धि दर नरम बनी रह सकती है। क्रिसिल ने यह बात ऐसे समय में कही है, जब आरबीआई 5 दिसंबर को नीतिगत दर की घोषणा करने वाला है। रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की मौद्रिक नीति समीक्षा के लिये 3-5 दिसंबर को बैठक होगी। क्रिसिल का यह अनुमान जापान की ब्रोकरेज कंपनी नोमुरा के 4.7 प्रतिशत अनुमान के बाद सबसे कम है। रेटिंग एजेंसी ने जीडीपी वृद्धि का आंकड़ा आने के कुछ दिन बाद ही यह अनुमान जताया है। पिछले सप्ताह शुक्रवार को जारी आधिकारिक आंकड़े के अनुसार चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत रही।