नहाने का नाम सुनते ही पानी से भीगा हुआ शरीर हमारी कल्पना में आता है लेकिन एक अंतरिक्ष यात्री के लिए नहाना इतना आसान नहीं होता। अंतरिक्ष में यात्रियों को स्पेस शटल में कम से कम सामान ले जाना हाेता है। जहां नहाने के लिए पर्याप्त पानी नहीं होता। न नहाने पर शरीर पर कई तरह के कीटाणु पैदा हो जाते हैं। अंतरिक्ष यात्रियों को नहाने के लिए अलग प्रकार के पानी का उपयोग करना पड़ता है। यहां तक कि उन्हें अपने यूरिन को जमा कर विशेष प्रक्रिया के ज़रिए रिसाइकिल कर इस्तेमाल करना पड़ता है।
भारत का स्वदेशी बहुउद्देशीय मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ दिसंबर 2021 में लाॅन्च किया जाएगा। इसमें इसरो और आईआईटी दिल्ली नया प्रयोग करने वाले हैं। इसके तहत अंतरिक्ष यात्री बिना पानी के स्प्रे से नहाएंगे। इसे क्लेन्स्टा इंटरनेशनल कंपनी ने आईआईटी दिल्ली के साथ मिलकर तैयार किया है। अंतरिक्ष में नहाने के लिए इसका इस्तेमाल करने वाला भारत पहला देश होगा। नासा भी इसका इस्तेमाल किए जाने को लेकर इसरो के साथ संपर्क में है। बिना पानी के स्प्रे से नहाने की तकनीक पर आईआईटी दिल्ली के साथ मिलकर काम करने वाले डॉ. पुनीत गुप्ता ने बताया कि उनकी मां को कुछ साल पहले पैर में चोट आ गई थी। घाव में इंफेक्शन न हो, इसलिए डॉक्टर ने चोट को पानी से दूर रखने की हिदायत दी। इस कारण वह कई दिनों तक नहा नहीं पाईं। उन्हें बालों और त्वचा में खुजली होती थी। वहीं से उन्हें वॉटरलेस बॉडी वॉश बनाने का आइडिया आया। 2018 में उन्होंने स्टार्टअप शुरू किया। आईआईटी दिल्ली के साथ मिलकर इसरो के लिए इस प्रोजेक्ट पर काम किया। तब से लेकर अब तक नेवी,आर्मी कमांडो इसका इस्तेमाल पानी की गैरमौजूदगी में कर चुके हैं। अब इस प्रोडक्ट का इस्तेमाल एम्स रायपुर समेत करीब 200 से ज्यादा सरकारी अस्पताल अपने उन मरीजों के लिए कर रहे हैं, जिन्हें किसी न किसी चोट के कारण पानी से दूर रहने के लिए कहा जाता है। इसके इस्तेमाल के बाद शरीर से 100% कीटाणु खत्म होने का दावा किया जा रहा है।
फूड डिलीवरी ड्रोन पहुंचाएगा खाना
ऑनलाइन ऑर्डर कर खाना मंगाने का शौक लोगों में बढ़ता जा रहा है। ऐसे में तकनीक भी इसे सपोर्ट करने आगे आ रही है। उबर ईट्स ने हाल ही में अपने फूड डिलीवरी ड्रोन को पेश किया। यह एक इलेक्टि्रक ड्रोन है। इसमें 6 रोटर लगे हैं, जो वर्टिकल टेक-ऑफ और लैंडिंग करने में ड्रोन की सहायता करते हैं। इसकी ऑफिशियल टेस्टिंग 2020 में शुरू होगी। फुल चार्जिंग में यह सिर्फ 20 किलोमीटर की दूरी तय करेगा। कम रेंज होने की वजह से इसे फूड डिलीवरी प्रोसेस के छोटे हिस्से के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा। नए इलेक्टि्रक ड्रोन को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि इसमें दो लोगों का खाना आसानी से रखा जा सके। पार्सल लोड करने से लेकर डिलीवर करने तक यह कुल 18 मिनट का समय लेगा। ड्रोन को ट्रैक करने के लिए और ड्राइवर तक ऑर्डर लेने की सूचना पहुंचाने के लिए उबर अपने एयरस्पेस मैनेजमेंट सिस्टम ‘एलीवेट क्लाउड सिस्टम’ का इस्तेमाल करेगी।
ड्रोन द्वारा पार्सल को ड्रॉप-ऑफ प्वाइंट तक पहुंचाने के बाद ड्राइवर ही उसे फाइनल डेस्टिनेशन तक पहुंचाएगा। इसे खासतौर पर ट्रैफिक और खराब मौसम में तेजी से फूड डिलीवर करने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।